पर्यटन शिक्षा में क्या मौसम के तापमान का पाठ्यक्रम भी शामिल होना चाहिए ?
- Get link
- X
- Other Apps
आज हम 21वीं सदी में रह रहे हैं जबकि हम पर्यटन क्षेत्र में घूमने की बात करते हैं तो हम अपने पुरानी सदियों के इतिहास को संजय रखने वाली संस्कृतियों और अत्यधिक प्राकृतिक पर्यटन क्षेत्रों के बारे में जानने की कोशिश करते हैं और वहां किस तरीके से पूछा जाए इसके लिए हम योजना बनाते हैं चाहे हमें घुमक्कड़ जिज्ञासा का कितना भी उपयोग करना पड़े एक पर्यटक के तौर पर हम वहां जाकर ही रहते हैं इसके तमाम उदाहरण है जैसे जापान विश्व के तमाम जनजाति क्षेत्र और अत्यधिक पुराने प्रकृति क्षेत्र जहां कभी मनुष्य 21वीं सदी की शुरुआत में घूमने नहीं जाता था वहां आज पर्यटक इसे नई सोच का नाम देकर उस जगह पर पहली फतेह आने की कोशिश करता है और अपना नाम दर्ज करने की होड़ में लगा पड़ा है जिसका फायदा उस घुमक्कड़ जिज्ञासु पर्यटक को तो होता ही है साथ में अगर यह कोई दुर्गम जनजाति क्षेत्र है जहां कभी कोई शहरी मनुष्य या प्रजातंत्र देश का पर्यटक पहुंच जाएं तो उस जनजाति क्षेत्र मैं आमदनी के साधन भी बढ़ जाते हैं पर्यटन क्षेत्र भी प्रसिद्ध हो जाता है लेकिन इसके साथ एक जिम्मेदार पर्यटक की जिम्मेवारी यह भी होती है कि उस जनजाति क्षेत्र में जाकर वहां की जनजातियों केसर क्षण के बारे में भी सोचना चाहिए ताकि उनके अधिकारों का हनन ना हो और उनका जीविकोपार्जन भी साधारणतया उच्च होना चाहिए अगर जनजाति पर्यटक,
पर्यटकों को स्वीकार की है अपने क्षेत्र में आगमन के लिए क्योंकि कुछ देशों की जनजातियां पर्यटको को अनुमति नहीं देती अपने यहां घूमने के लिए जैसे अंडमान निकोबार कि कुछ जनजातियां और अन्य देशों की जनजातियां आदि विश्व के देशों के तमाम पुराने पर्यटन प्राकृतिक क्षेत्र आदि! अगर हम बात करें पर्यटन शिक्षा में मौसम के तापमान के पाठ्यक्रम को शामिल करने की बात कहें तो यह अतिशयोक्ति नहीं होगी बल्कि युवा 21वीं सदी में पर्यटन को बढ़ावा देने के लिए एक बहुत जरूरी कदम भी होगा क्योंकि जिस तरीके से विश्व में महामारी आ फैल रही है
21वीं सदी में और ग्लोबल वार्मिंग के द्वारा मौसम के तापमान में बदलाव आ रहा है विश्व के तमाम पर्यटन क्षेत्र भी उस से प्रभावी हो रहे हैं जिसके कारण मौसम के तापमान के पाठ्यक्रम की शिक्षा पर्यटन क्षेत्र में अध्ययनरत विद्यार्थियों को इसका पाठ्यक्रम पढ़ाने की जरूरत शुरू कर देनी चाहिए क्योंकि इससे पर्यटन क्षेत्र में बदलाव आएगा समय के अनुसार कैसे क्षेत्र को आगे बढ़ाया जा सके क्योंकि यह विकसित देशों में पर्यटन क्षेत्र सबसे ज्यादा रोजगार और कमाई का माध्यम है वही अगर हम बात करें विकासशील और अविकसित देशों की तो यहां अभी भी पर्यटन क्षेत्र अपने आधारभूत सुविधाओं तक भी नहीं पहुंचा है और अगर हम बात करें पर्यटन क्षेत्र में घुमक्कड़ जिज्ञासा रखने वाले पर्यटक की तो विकसित देशों के ज्यादातर पर्यटक ही विश्व भ्रमण पर निकलते हैं जबकि विकासशील देश और अविकसित देशों के पर्यटक अभी भी कम पर्यटन यात्रा पर निकलते हैं
इसका कारण एक प्रति व्यक्ति आय कम होना भी है जबकि विकसित देशों के नागरिकों की प्रति व्यक्ति आय इनसे ज्यादा है जबकि विकसित देशों में 21वी सदी के दौर में पर्यटकों के लिए मानव निर्मित झीलें और मानव निर्मित क्षेत्र, मानव निर्मित प्राकृतिक क्षेत्र बनाए गए हैं जिसमें जानवर आदि रहते हैं और पर्यटक यहां पर बहुत घूमते हैं और विदेशी पर्यटक जो विकासशील देश और अविकसित देशों से भी आते हैं वह भी यहां घूमते हैं जबकि इस तरह के पर्यटन क्षेत्र के अत्याधुनिक कार्य कुछ ही विकासशील देशों में करे गए हैं जबकि विकसित देशों और विकासशील देशों में पर्यटन की अपार संभावना है और यह इन देशों की अर्थव्यवस्थाओं को उभारने के लिए बहुत बड़ा योगदान दे सकता है इन देशों की प्रति व्यक्ति आय को बढ़ाने के लिए अगर पर्यटन शिक्षा में विकासशील देश विकसित देश और विकसित देश भी मौसम के तापमान का पाठ्यक्रम पर्यटन शिक्षार्थियों के लिए जोड़ा जाए जिससे विश्व का पर्यटन क्षेत्र नई ऊंचाइयों तक 21वीं सदी में पहुंच सकता है!
- Get link
- X
- Other Apps
Comments
Post a Comment
let me tell you soon