जलवायु परिवर्तन और इसका प्रभाव

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जलवायु परिवर्तन ऐसे तो 1970 के आसपास वैज्ञानिकों को इसके बारे में पता चला लेकिन बहुत सी खामियां होने के कारण जनता बहुत कम इसके बारे में बताया गया और आज 2021 में यहां इस कदर हो चुका है की इसका असर प्राकृतिक तौर पर तो है ही साथ में जानवरों की प्रजाति पर भी इसका बहुत गहरा असर पड़ा है   आज इसका सीधा असर पड़ा है  इंसानों पर प्राकृतिक तौर पर तापमान बढ़ने से हो रहा है जिसमें धरती पर सभी जीव जंतु आते हैं अगर सीधे तौर पर बात करें तो जानवरों पर इनके प्रजनन क्षमता पर बहुत असर पड़ रहा है जिसका सीधा मतलब यह है कि अगर तापमान ज्यादा बढ़ता है या बढ़ता रहेगा तो जानवरों की आदि प्रजातियों की प्रजनन क्षमता पर बहुत असर पड़ता है जिससे जानवरों कीट पक्षी जलचर आदि पर यह सर ऐसे दिखता है तापमान बढ़ने का की कछुआ जो समुद्र में रहता है उस पर तापमान गरम और  ठंडे रहने से उनके मादा और नर के प्रजनन पर असर पड़ता है अगर ठंडे ठंडे रहते हैं तो नर कछुए पैदा होते हैं और अगर अंडे गर्म रहेंगे तो मादा कछुए ज्यादा पैदा होगी इसी तरीके से इनका असर कीटो आदि पर बहुत गहरा असर पड़ता है जिससे आने वाले समय में कुछ जीव जंतु जलचर कीट आ

माता सीता का प्राचीन मंदिर

  भारत में रामायण को बहुत ही प्राचीन ग्रंथ माना जाता है जैसे भागवत गीता को उसी तरीके से भारत में एक स्थान है जहां माता सीता का प्राचीन मंदिर पाया गया है यह उत्तराखंड राज्य में पड़ता है जैसा कि आप जानते हैं यह लोकमानस मानता है कि सीता माता ने अपनी मां पृथ्वी की गोद में अंतिम शरण ली थी यही हम आप लोगों ने लोक कथाओं में सुना है गीतों में सुना है चित्रा वलियों में देखा है


और मिलता है और अगर हम इसी क्रम को आगे बढ़ाते हैं तो वह स्थान जो सीता माता का है प्राचीन मंदिर वह गढ़वाल में ऐसे 3 गांव है जो माता  सीता की बनवास तथा पृथ्वी के गर्भ में समा जाने के पवित्र तीर्थ स्थान माने जाते हैं और यह स्थान आदि काल से ही यहां इस मान्यता को बल देने वाले अभी तक मेले होते हैं और गीत प्रचलित है और मंदिर और गांव के नाम प्रचलित है यह तीनों गांव पौड़ी गढ़वाल जिले में स्थित है जिनके नाम निम्न है!   

               

 1-  सीतानसीयु (फलासियारी)                                       

   2-  सीता सेण                                                            

    3-   बिदा कोटी                                                         

दोस्तों यदि आप पर्यटन और गुमकड़ी की जिज्ञासा रखते हैं तो आपको जरूर यहां पर एक बार जरूर जाना चाहिए और देखना चाहिए आखिर रामायण जैसा महाकाव्य जिसकी सीता माता एक बहुत बड़ा पात्र थी जिनके बारे में यह सही माने तो यह पौराणिक स्थान बहुत कुछ बोलता है क्योंकि आदिकाल से यहां के यह तीनों गांव के वासी मेले गीत लोकगीत आदि गाते आ रहे हैं और अपने प्राचीन संस्कृति से अभी तक भी जुड़े हुए हैं यहां के लोग अगर बात करें पहले गांव सीतानसीयु की तो यहां माता सीता का एक प्राचीन छोटा मंदिर था जिसे अब गांव के लोगों ने सामूहिक प्रयास से एक बड़ा मंदिर बनाया जा रहा है वही एक पहाड़ी टीले पर वाल्मीकि आश्रम अर्थात उनका मंदिर है


और यहीं पर हर वर्ष कार्तिक मास अर्थात नवंबर माह में सीता मेले का आयोजन होता है जहां सीता माता की पृथ्वी या धरती में समा जाते समय नागरिकों द्वारा शौक उनको रोके जाने के प्रयास का चित्रण होता है और #मातासीता के केस प्रजा जनों के हाथ में रह गए जो एक स्थानीय #दूबघास के देशों के रूप में ग्रामीण लोग मेले से सहेज कर घर और पूजा स्थल में रखते हैं और यहां पर आप जरूर जाएं इस स्थान पर जाने के लिए आपको ऋषिकेश तक  रेलवे स्टेशन  मिलेगा जिस के नजदीक देहरादून भी है और ऋषिकेश में भी आपको रहने के लिए होटल सराय वगैरा मिल जाएगी

और यहीं से 24 घंटे पौड़ी गढ़वाल के लिए ट्रैक्टर से लेकर गाड़ी बस आपको मिल जाएगी और आप सुरक्षित आप इन तीनों गांव में घूम सकते हैं और मेले पर आते हैं तो इस मेरे का भी आप आनंद ले सकते हैं और धार्मिक यात्रा करना चाहते हैं तो उसके लिए भी आपको यह देवभूमि आपको घूमने के लिए बहुत अच्छा स्थान है !

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